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13 Apr 2022 · 1 min read

इंसानियत में प्यार से, दो दिल मिला दिए।

गज़ल

221…..2121……1221……212
इंसानियत में प्यार से, दो दिल मिला दिए।
दुनियां में उसने प्यार के गुलशन खिला दिए।

मुरझा गए थे फूल जो फिर से खिला दिए।
रब ने वो फिर से आज दो बिछड़े मिला दिए।

राजा था एक दिन का ही, फिर भी तो दोस्तो,
इक दिन में अपने नाम के, सिक्के चला दिए।

अब लड़खड़ा रहे हैं, कदम युद्ध में मियां,
जांबाज देशभक्त, जो हिम्मत दिखा दिए।

गोले बरस रहे हैं जो भीषण ये आग के,
दुनियां ये जल रही है, नहीं बिन हवा दिए।

मेरी भी मिल गई थी नजर जब रकीब से,
लब हिल नहीं सके वो जरा मुस्कुरा दिए।

खोए थे जिसके प्यार में प्रेमी भुला के सब,
बाहों में मेरी आ के वो सबकुछ भुला दिए।

…….✍️ प्रेमी

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