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1 May 2024 · 1 min read

इंतहा

कैसे-कैसे काँटों से गुजर कर,
गुलशन तक पहुँचे,
इंतहा तब हुई जब गुलशन ने कहा
फूलों का मौसम निकल गया।

कैसे-कैसे रास्तों से गुजर कर,
मंजिल तक पहुँचे,
इंतहा तब हुई जब मंजिल हँसी,
वक्त कब का गुजर गया।

ऐ जिंदगी, तेरा साथ भी खूब रहा,
सफर तमाम उम्र चलता रहा,
न काफिला मिला, न मंजिल मिली,
न हमसफर ही कोई मिला।

दिनांक – १९/०५/२०१८.

Language: Hindi
1 Like · 106 Views
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