इंतजार
इंतजार सहर होने का था पर रात बसर हो गयी
वो आया ना जालिम शब -ए – बारात कब्र हो गयी
सब नाचते गाते रहे शहनाईयो की धुन पर
इंतजार में आफताब के वो रात कहर हो गयी
कहके ये चले गए सब अपने घर पर
कुछ पलो का ही था साथ पर अब तो पहर हो गयी
-नीलम शर्मा
ईश्क है ख्वाब, इसे ख्वाब ही रहने दो य़ारो
हो गया सच तो आग लग जायेगी
ज़िंदगी अब जो महकती है चिनारो सी
ताड सूखा फिर ये हो जायेगी .
ईश्क है रोग ला-ईलाज सनम
दिल भी टूटेगा,धुलायी भी मुफत हो जायेगी
अश्क फिर जेल में बहाओगे
क्योकि जामानत भी ज़प्त हो जायेगी
नीलम शर्मा
हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया ……
रख कर हाथ अपना सीने पर
हमने खुद ही जिगर को थाम लिया .
जज्बा – ए – जफा का देखा तो
मेर होठो ने फिर से जाम लिया .
टीस फिर आह बनकर उभरी है
तूने ये कैसा इन्तकाम लिया .
लोग जपते हैं माला ईश्वर की
मैने सुभह – शाम ,तेरा नाम लिया
चाहत के अश्क कुछ बहे इस कदर
दिल ना दिजे यही पेगाम दिया
हमारे आगे तेरा जब किसी ने नाम लिया
हमने खुद ही जिगर को थाम लिया .
-नीलम शर्मा