*इंकलाब दा फायर है*
इंकलाब दा फायर है
वो सिर्फ अपनी ही कारगुजारी बताने में माहिर है,,
उसके वादे और इरादे मुझे तुझे क्या जग जाहिर है,,
वो जंग भी लड़लेगा जुबान से कई दिनो तक,,
पर सच ये है कि वो सामना करने में शायद कायर है,,
हम भी उम्मीद से ही जीने की फितरत बाले है शायद,,
वरना हम सब एक हो जाये तो शोला,गोला,फायर है,,
अब तो मेरे भी मेरे नजर नही आते आसपास मेरे,,
उसकी हा में हा मिलते है मेरे अपने भी उसके लॉयर है,,
अब ये दौर खत्म करे सपनों और उड़ानो का साथी,,
मनु कुछ ऐसा करे की लगे कि इंकलाब दा फायर है,,
मानक लाल मनु