इंकलाब जिंदाबाद ! जिंदाबाद इंकलाब !!
क्षण-क्षण, क़दम-क़दम
बुनते रचते साजिशों का जाल
घिरे हैं ईमानदार सवाल से, और बेईमान को जवाब भी चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ ईमानदार के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
जहाँ बेईमान भ्रष्ट शोर मचाये जोर से
जहाँ पे लब्ज़े-ईमान एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
जहाँ दूध का रखवाला बिलार हो
जहाँ भय और डर का बना माहौल हो
वहाँ न चुप रहेंगे हम भी
कहेंगे हाँ कहेंगे हम भी
सवाल पूछने वाले तुम भी जवाब दो
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
इन्क़लाब इन्क़लाब
जिनको सहेजना था सम्हालना था सम्मान
वही रचे नित नए षड्यंत्र रच, इज्जत का तार-तार करे
खुद लुटेरा दूसरे से मांग रहा हिसाब
जब तुमसे मांगे जाएंगे हिसाब, उतरेगा तेरा नकाब
जो इनका भेद खोल दे
हर एक बात बोल दे
हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
घिरे हैं ईमान वाले सवाल से अब बेईमानो से जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जिन्होंने किये कारनामे वही दिख रहे मचाते शोर
लोकतंत्र के नाम पर उड़ाते लोकतंत्र का माखौल
द्वेष जलन से जलाने निकले दुसरो के घरौंदे
खुद ही हाथ जला बैठे
स्याह चरित्र और ज़िन्दगी है जिसके
सूर्य की रोशनी पर व्यंग्य कसे
उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
घिरे हैं ईमानदार सवाल से, अब बेईमानो से जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
तसल्लियों के इतने रचें चाल के बाद अपने हाल पर
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो तेरे सम्मान, षडयंत्रो के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका बर्बादी का, इंतजार क्या वो खत्म हुये
तू खुद के झूठे अहम पर
ना और ऐतबार कर
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
घिरे हैं ईमान वाले सवाल से, और बेईमानो को जवाब चाहिए
क्षण क्षण क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब