आ सजन प्यार करूँ
एक ख़त मोहब्बत के नाम प्रतियोगिता के लिए मेरी प्रविष्टि
आ सजन
प्यार करूंँ
तेरी हसरतों को सजा संँवार कर
अपने हाथों से दुलार करूंँ
तेरी पलकों के रोएँ चूम लूंँ
और उनके अंदर कैद सपनों को उठाकर
खुद में चुन लूंँ
अपने मुकद्दर के सारे तारे तोड़ डालूँ
और तेरी सेज पर बिखेर दूंँ
अपने हाथों की मेहंदी गीली करूंँ
और तेरे सीने पर ठंडक सी रख दूंँ
मैं एक निवाला बनूँ
और तेरी भूख के हवाले होऊँ
मैं एक घूंँट
जिसे तेरी प्यास में डुबो दूंँ
तेरी सांँस मेरी सांँसों से एक वादा करे ,
एक बात कहे
जिसे मैं अपने सीने की तिजोरी में डाल दूंँ
वह वक्त आए
जब वक्त रुक जाए
मेरी छत पर तेरी तमन्नाओं की
चांँदनी बिखर जाए
उस चांँदनी से उधार लूंँ
और तेरी बाहों में उसे सुला दूंँ
बिखरा दूंँ
तेरी बरसों से जागी आंँखों में
लोरियाँ पिरो दूँ
और अपने आप की थपकी से
तुझे सुला दूंँ
मैं एक वक्त की तलाश बनूंँ
और सिर्फ तुझे ही देख सकूंँ
पा सकूँ , दे सकूँ ।।।।
( सर्वाधिकार सुरक्षित स्वरचित अप्रकाशित मौलिक रचना – सीमा वर्मा )