आ रे बादल काले बादल
आ रे बादल काले बादल
वर्षा ऋतु मस्त आया
किसानों के मुस्कुराहट लाए
मिट्टी की सोंधी खुशबू जगा
आ रे बादल काले बादल।
छम- छम करके बरस
प्यास धरती की बूझा
गर्मी को दूर भगा
आ रे बादल काले बादल।
नदियों को भी है आभास
तालाबों का उम्मीद कम नहीं
नहर भी देखे राह तुम्हारी
आ रे बादल काले बादल।
छतरी वाले को तेरा इंतजार
नया जीवन की तलाश
मर्जी तेरी चलती हैं
आ रे बादल काले बादल।
रिमझिम- रिमझिम आए तू
मयूर को आया मजा बहुत
नाचे पंख पसार के
आ रे बादल काले बादल।
खेत- खलियान की शान
बगीचा का माली का सम्मान
झुलें पेड़ों पर टंगी पड़ी
आ रे बादल काले बादल।
कागज की डोगी बनी बड़ी
बस तेरा आना इंतजार
छुटपन की प्यारी सी एहसास
आ रे बादल काले बादल।।
गौतम साव