आ चल चलें उस लम्बी दूरी में
आ चल चलें उस लम्बी दूरी में
जहां चलना सबके लिए सरल ना हो
तू हो और मैं हूँ और हमारी मंजिल हो
उस लम्बी दूरी की राह में दोनों की बात हो
अँधेरी रात , धूप ,सर्द ,बरसात हो
हाथो में एक दूजे का हाथ हो
बिन बोले,सुने,सोचे,समझे
चलते रहे कदम कदम से मिलाते हुए
ऐसा हर कदम का साथ हो
तेरे दुःख में मेरा साथ हो
मेरे दुःख में तेरा साथ हो
मेरी हर ख़ुशी का तू राज़ हो
फूलों की महक की तरह हमेशा
तेरा वास हो
ओस की बूँद की तरह
हमेशा ताज़ा एहसास हो
मैं तिश्र्गी तू मेरी आब हो
टिमटिमाते जुगनुओं
में चाँद का साथ हो
रूह बने एक दूजे की
जैसे रूह का शरीर में वास हो
ऐसा हर वक्त दोनों का साथ हो
तू पानी मैं तुझ में
कोई घुलनशील पदार्थ हो
जैसे समुन्द्र में नदी के पानी का वास हो
आ चल चले उस मंजिल की और
जहां दोनों का साथ हो कदम चले साथ साथ
और दोनों का हाथों में हाथ हो
भूपेंद्र रावत
2/11/2017