आ चले गाँव में
विमोहाछंद_
मापिनी 212 212
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आ चले गाँव में,
प्रीत की ठाँव में।
पेड़ पौधे वहाँ,
शांति हैं छाँव में।
पायलें डालती,
गोरियां पाँव में।
घूम आये वहाँ
बैठ के नाव में।
गोल घेरे लगे,
आग है आव में।
साग रोटी पके,
आँच के ताव में।
बोल मीठी लगे,
प्यार है भाव में।
चीख आती नहीं,
यार के चाव में।
बैठ लो ठौर से,
दर्द है घाव में।
होसला से लड़ो
जीत जा दाव में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली