आ के तेरी गली मे ।।।
ख्वाहिश है कि देख लू तूझे ,
मोहब्बत के किसी गली मे।
फिर वही शरारत देख लू ,
आ के तेरी गली मे ।।
तेरी परछाईं भी नसीब नही,
फूलों और कलि मे।
मुसाफिर बन गया मुहब्बत का ,
आ के तेरी गली मे ।।
जो होना था हो गया ,
फिर भी शिकवा तेरी कमी मे।
बदनाम हो गयी हर गलिया ,
आ के तेरी गली मे ।।
ढूढता रहा आसमां की तरफ ,
तू मिली उसी जमी मे।
हैरान हो गया देखकर तुझे ,
आ के तेरी गली मे ।।
ना शिकवा ना शिकायत,
ना कमी मेरी परी मे,
सब देख लिया जी भर के
आ के तेरी गली मे ।।