आज़ाद गज़ल
कुछ लोगों ने एक मंदिर बचा लिया
हाँ आस-पास जो था सब जला दिया ।
उनकी नेक नियति को सलाम है मेरा
भाईचारे का इक नमूना दिखा दिया ।
अब तो आदत सी हो गई है मुल्क की
जब भी मौका मिला दंगा करा दिया ।
सियासत संभल कर चाल चल रही है
बस इसी सलीके से चेक भुना लिया ।
पता नहीं कब तक अक़्ल आएगी हमें
विद्वता ने हमे और असभ्य बना दिया।
लगता नहीं है कभी वो सुधरेंगें कभी
जहालत अजय जिन्होनें अपना लिया
-अजय प्रसाद