आज़ाद गज़ल
डर है उन्हें कहीं मशहूर हो न जाऊँ
पहुँच से उनकी मै दूर हो न जाऊँ ।
पढ़ते हैं गज़ल वो ,मगर छूपकर
फिक़्र हैं ,कहीं मगरूर हो न जाऊँ ।
चांद,सूरज,सितारे हैं खफा मुझ से
है शक़, जहाँ का मै नूर हो न जाऊँ ।
इसलिए वो मेरी कब्र पे आते नही है
देखकर उन्हें जिंदा ,हुजूर हो न जाऊँ ।
इस कदर तरक्कीयाफ्ता हैं लीडर
लीडरी को मै भी मजबूर हो न जाऊँ ।
-अजय प्रसाद
-AJAY PRASAD TGT
ENGLISH DAV PS PGC
BIHARSHARIF ,NALANDA ,BIHAR
803216 ?9006233052