आज़ाद गज़ल
कैसे बताऊँ यारों कितना मैं सहनशील हुआ हूँ
जब से सहित्यिक ग्रुप का मैं ऐडमिन बना हूँ ।
सुबह,शाम,रात और दिन है कर दिया कुर्बान
तब जाकर कहीं थोडा सा मैं नामचीन हुआ हूँ ।
ऑनलाइन सम्मेलन औ साप्ताहिक विश्लेशण
सिलसिलेवार ढंग से सब मैने मेनटेन किया हूँ ।
भांती-भांती के साहित्यकारों को जोड़ा है मैने
तुम्हें क्या पता सबको कितना एंटरटेन किया हूँ ।
जाओ अजय तुम भी कभी मुझें याद रखोगे
तुम्हारे बकवास शायरी पे भी कमेन्ट्स किया हूँ
-अजय प्रसाद