आज़ाद गज़ल
आईए एक दूसरे पे हम इल्जाम लगाएं
फ़िक्र है कितनी ज़रा अवाम को बताएं।
यही तो है सियासतदानों का सिलसिला
भला हम औ आप क्यों वंचित रह जाएं ।
ज्म्हुरियत पे करें जम कर भरोसा मगर
काम सारे उसके ही खिलाफ़ कर वाएं।
वक़्त के साथ चलना ज़रूरी तो नहीं है
क्यों न वक़्त से आगे हम निकल जाएं ।
हुकूमत तुम्हारी हो या फ़िर हो हमारी
बस फाएदे में जनता कभी न आने पाएं
-अजय प्रसाद