आज़ाद गज़ल
आरज़ू है कि जुस्तजू रहे
खुबसूरती तेरी हुबहू रहे ।
मैं रहूँ या ना रहूँ जहाँ में
ज़िक्र तेरा यार कुबकू रहे ।
धडकनें क्यूं न हो मगरूर
दिल में अगर तू ही तू रहे ।
गुज़र गया गर गुमनाम मैं
आँखों में तेरी आँसू रहे।
और कुछ रहे ना रहे यहाँ
गुलों में रंग और बू रहे ।
-अजय प्रसाद