आज़ाद गज़ल
कोशिशों को बेकार होने दे
नाकामियों से प्यार होने दे
कुछ तो जिम्मेदारी हो इसकी
दिल को भी बेक़रार होने दे ।
खामोशियां बेहद चीख रही
अपने लबों से इंकार होने दे ।
ईश्क़ तो इमानदारी से कर
आँखों से भी इज़हार होने दे।
ज़िंदगी भर मैं भटकता फिरूँ
मंज़िलों से यूँ तक़रार होने दे ।
मत फैलाना हाथ सब के आगे
खुद को अजय खुद्दार होने दे ।
-अजय प्रसाद