आज़ाद गज़ल
मेरी बेबह्र गज़लों पे वाह वाह करता है
बस यूँ वो मेरी जिंदगी तवाह करता है ।
मैं फूला नहीं समाता उसकी तारीफों से
और इस तरहा वो मुझे गुमराह करता है।
ज़िंदा हूँ मैं ज़ुर्म के खिलाफ़ लिखने को
तो सोंचिये मेरी कितनी परवाह करता है ।
जब कभी बहकने लगता हूँ हुस्नोईश्क़ में
मुझें आईना दिखा कर आगाह करता है ।
याद रखता है अपने दुआओं में हर दिन
कितनी खुबसूरती से वो गुनाह करता है ।
जानता हूँ अजय तुझे मैं अच्छी तरहा से
बड़ी शिद्दत से शोहरत की चाह करता है।
-अजय प्रसाद