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17 Sep 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

वो मुझको खतरों से आगाह करता है
क्या सचमुच इतनी परवाह करता है।
लह्ज़ा तो रहता है धमकियों से भरा
क्यों मेरी गज़लों पे वाह वाह करता है ।
मैनें कब कहा कि इन्क़लाब लाऊंगा
फ़िर क्यों इन्तज़ाम खामखाह करता है।
शायद बेहद थी मुहब्बत मुझसे पहले
इसलिए अब नफरत बेपनाह करता है।
जाओ अजय तुम्हारी हैसियत है क्या
कौन खुद को फिजूल तबाह करता है ।
-अजय प्रसाद

1 Like · 201 Views
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