आज़ाद गज़ल
जैसी नियत
वैसी वरकत ।
छोड़ नफ़रत
कर मुहब्बत ।
दिल लगा कर
पाले जन्नत ।
धर्म ,मज़हब
बस है फितरत ।
आओ हम तुम
जोड़े रगवत ।
मिल के रहना
अपनी चाहत।
हम हैं जिंदा
उसकी रहमत ।
ज़िंदगी क्या
रब की नेमत ।
फ़िर अजय तू
कर ले उल्फत ।
-अजय प्रसाद
जैसी नियत
वैसी वरकत ।
छोड़ नफ़रत
कर मुहब्बत ।
दिल लगा कर
पाले जन्नत ।
धर्म ,मज़हब
बस है फितरत ।
आओ हम तुम
जोड़े रगवत ।
मिल के रहना
अपनी चाहत।
हम हैं जिंदा
उसकी रहमत ।
ज़िंदगी क्या
रब की नेमत ।
फ़िर अजय तू
कर ले उल्फत ।
-अजय प्रसाद