आह
राष्ट्र के निर्धन हृदय में,आह यदि रह जाएगी।
कहें कैसे,हिंद हिय को दुख नहीं पहुचाॅंएगी।
एक नर के रक्त में भी यदि कहीं पीड़ा है तो।
दिव्य भारत-भाल को वह क्यों नहीं झुठलाएगी
पं बृजेश कुमार नायक
राष्ट्र के निर्धन हृदय में,आह यदि रह जाएगी।
कहें कैसे,हिंद हिय को दुख नहीं पहुचाॅंएगी।
एक नर के रक्त में भी यदि कहीं पीड़ा है तो।
दिव्य भारत-भाल को वह क्यों नहीं झुठलाएगी
पं बृजेश कुमार नायक