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3 May 2021 · 1 min read

आहें

************ आहें (रोला) ***********
*********************************
1
पिया मिलन की पीर,भभकती तन में आहें।
मन में न रहे धीर , तरसती खाली बाहें।।
प्यासे नीले नैन , ताकते रहते राहें।
चित्त रहे बेचैन , प्यासी रहती निगाहें।।
2
छूटा जब से साथ, जुदा जुदा हुई राहें।
हो गया हूँ अनाथ, मन से निकलती आहें।।
काली बोली रात , प्रीतम मिलन को चाहे।
जी भरकर हो बात , झूले आपस में बाहें।।
**********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
236 Views
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