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2 Apr 2022 · 1 min read

आहिस्ता से सुनो

सुनोंगें आहिस्ता से टूटते हुए दिल के तार बजेंगे
गमों में भीगती हुई बरसात के दर्द हजार दिखेंगे
ओढ ली है चादर खामोशियों की मैंने मगर
रीसते हुए जख्मों के निसाँ यहाँ ज़ार ज़ार मिलेंगे
-“अभिधा”

Language: Hindi
1 Like · 205 Views
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