आहिस्ता चल जिंदगी
आहिस्ता चल जिंदगी
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ऐ! जिंदगी आहिस्ता से चल,
मुझको क ई काम करने हैं—-
जो जीवन में बन जाए हसीन पल।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल——-
मानव तन पाया है, उसको सार्थक कर,
मोह माया में न पड़——
जग में उजियारा फैला कर,
नाम धरा में रोशन कर ।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल——
पथ में तेरे बाधाएं भी आएं,
उनसे मत घबराना।
अपने बुलंद इरादों से,
मंजिल अपनी पाना ।।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल—–
ऐसा तो नहीं कि हर पथ में,
पुष्प बिछा होगा ।
तुझको कंटकों पर चलके,
जीवन पथ पर चलना होगा।।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल——
दुःखो का विशाल सागर है संसार,
पार करके है जाना तुमको।
जीवन नैया डोल रही हो,
लेकिन!पार लगाना है तुमको।।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल——
नदियों की तरह बहकर ,
सागर में समाना है।
जीवन पथ में अपना,
रास्ता तुमको खुद बनाना है।।
ऐ जिन्दगी आहिस्ता से चल—–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर