आहवान
चलो रे साथी, धरके लाठी
चलेंगे सीना तान के।
न्याय और अधिकार के लिए लड़ेंगे,
दुश्मन को पहचान के।
चलो रे साथी . . . . . .
न कोई अन्यायी हो
न किसी के साथ अन्याय हो।
स्वर्ग जैसे इस धरती में,
सुख की सबको छांव हो।
सब भाई को जगायेंगे,
अन्यायी को भगायेंगे।
चुन चुन के हम लड़ेंगे लड़ाई,
बैरी अन्यायी को पहचान के।
चलो रे साथी . . . . . .
भ्रष्ट्राचारी व्यव्स्था को,
फेंक देंगे उखाड़ के।
राज ला के दिखायेंगे ,
मजदूर और किसान के
लाल हरा लहरायेंगे,
इंकलाब गायेंगे।
दफन करेंगे बैरी को,
इस धरती में खान के।
चलो रे साथी . . . . . .
हर खेत को पानी मिलेगा,
हर हाथ में होगा काम।
शोषण अत्याचार का,
न होगा नामोनिशान।
जब राज हमारा आयेगा,
अधिकार तभी सब पायेगा।
जल जंगल और जमीन,
तब होंगे अपने नाम के।
चलो रे साथी . . . . . .
नेताम आर सी