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18 May 2024 · 1 min read

आहत हूॅ

कष्ट बहुत था जीवन मे
और धन का था अभाव
पर ना थके कदम मेरे
दुर्गम राहों पर चल कर
पूर्ण हुए सब ख्वाब मेरे
फिर भी आहत हूॅ मै कि
अपनो की इस भीड मे
डसती क्यों है
हमको ये तन्हाइयां
वो साथ थे तब
कुछ न होकर भी
सबकुछ था
आज सब कुछ होकर भी
कुछ नही है
अगर कुछ है तो
वो है बीते जीवन की स्मृतियाँ
दिनेश कुमार गंगवार

Language: Hindi
3 Likes · 85 Views
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