आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
वीरान पड़े उस मंदिर में ज्योत, जीवन की जला जाती है।
छंट जाते हैं बादल, तन्हाई के कुछ इस कदर,
की मुहब्बत की ढलती शाम, में बूंदें ओस की गिर जाती हैं।
सिद्दतें सितारों की घनी रात, के अंधेरों से लड़ आती है,
और तेरी गुम हुई खुशबू से, मेरे घर को महका जाती है।
बेहोश हुए ज़हन को तेरी परछाईयां बुलाती है,
रूह के हर कोने में, सदायें चाहतों की गुनगुनाती है।
अक्स को तेरे छूकर, तमन्ना मदहोशी से भर आती है,
और अश्क की झिलमिलाहट, तेरे ना होने की खबर लाती है।
गलीचे फूलों की राहों में, बहारें आज भी बिछाती है,
पर तेरे हाथों की गर्माहट को, मेरी लकीरें तरस जाती हैं।
वो उठती सुबह जाने कितनी हीं, उमीदों को जगाती है,
पर तेरी मौजूदगी के उस ख़्वाब को, मेरी आँखों से चुराती है।