आसमाँ के परिंदे
आ गए देखो आसमाँ के परिंदे
छा गए देखो आसमाँ के परिंदे
कोई भी इनमें कम नहीं
कोई भी इनको गम नहीं
गुनगुना गए आसमाँ के परिंदे
आ गए………….
भोले हैं सब नादान हैं
दिलों में सो अरमान हैं
मुस्कुरा गए आसमाँ के परिंदे
आ गए…………..
ये फरिश्ते हैं वो खुद में खोए हैं जो
सपने संजोए हुए
ख्वाब पिरोए हुए
लहरा गए आसमाँ के परिंदे
आ गए………….
कर चले फैंसला छोड़ेंगे ना हौंसला
सूरज को पाना है
चँदा को लाना है
बतला गए आसमाँ के परिंदे
आ गए………….
पिछे हटेंगे नहीं ‘विनोद’ झूकेंगे नहीं
आगे बढ़ेंगे सदा
दम ना लेंगे जरा
गुनगुना गए आसमाँ के परिंदे
आ गए…………..
छा गए…………..
—:स्वरचित:—
( विनोद चौहान )