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23 Nov 2021 · 2 min read

आस्था

विषय:आस्था

आज हम एक बहुत गंभीर विषय पर बात करने जा रहे हैं।मैंने भी विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये।कोई त्रुटि हो तो मेरा मार्गदर्शन अवश्य कीजियेगा।

आस्था संस्कृत भाषा से सम्बद्ध हैं इसकी संज्ञा स्त्रीलिंग हैं।

आस्था को हम निम्न नामो से भी जानते है

१-विश्वास

२-निष्ठा

३-धारणा

४-श्रद्धा

हमारी आस्था का संबंध हमारी अंतरात्मा से होता है।हम को किसी चीज पर भरोसा है लेकिन पूरा का पूरा विश्वास भी है यह चीज आस्था होती हैं। जैसे कि जो आस्था रखते हैं वे विश्वास भी रखते हैं लेकिन ढकोसला नहीं करते हैं दिखावा नहीं करते हैं जैसे कि अगर मैं बोलूं कि आस्था है कि भगवान है वे सब शक्तिमान है लेकिन जब तक मैं कर्म नहीं करूंगा उसको मेरे कर्म का फल नहीं मिलने वाला है।

“त्याग-तप-संयम सिखाती है जीनव मेंआस्था

मनुजता के गीत गाती है हमारी ये आस्था

आत्मा का सर्वव्यापक रूप है हमारी आस्था

भर देती है जीवन को खुशियों से हमारी आस्था

सहज, सरलता का पथ बताती हमारी आस्था

नूतन सृजन के नव आचरण सिखाती हमारी आस्था”।

आस्था का अर्थ है किसी विषय-वस्तु, के प्रति विश्वास का भाव होता हैं क्योंकि किसी परिकल्पना पर विश्वास कर लेने के लिए बुद्धिमता की जरूरत नहीं है। आस्था के व्यापक अर्थ को जानने के लिए ज्ञान की, बुद्धिमता की जरूरत पड़ती है। वास्तव में आस्थावान होने का आशय आस्तिक होने से है।

“सदियों की हैं यह आस्था,

दिलो में पनपती हैं आस्था

प्रेम प्यार स्नेह की व्यवस्था,

यही तो कहलाती हमारी आस्था”।

डॉ मंजु सैनी

गाजियाबाद

Language: Hindi
Tag: लेख
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