आसमान
आसमान
इंसान के वजूद के लिए आसमान
का होना बेहद ज़रूरी है,
इसी से हमें बारिश मिलती है
और इसी से हमें धूप भी मिलती है।
इसी से आसमान के ऊपर शायरों
ने भी अपने कलाम लिखे हैं।
आज मैं भी देखो बैठी हूँ इस पर लिखने
आसमान की ऊंचाई को क्या लिख पाऊँगी।
अपने ज़ज़्बे को मापा है क्या कभी
आसमान में ख़ुदा को ढ़ूंढ़ने की कोशिश की है
लेकिन यह हमेशा ही हिम्मत की याद देता
मानवीय-जिज्ञासा का विषय रहा है हमेशा।
पढ़ते हैं कुछ ऐसे ही शेर जो आसमां की
बुलंदियों को बयां करते हैं
इन्हीं खूबियों को अपने में समेटे हुए हैं
और आज आसमान पर ही लिख रहे है।
माँ सरस्वती देना लेखनी को मेरी ताकत
जो लिख जाए आज आसमान पर कुछ
हो मेरी लेखनी की उड़ान इतनी ऊंची
कि आज आसमान पर चल निकले।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद