Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2024 · 1 min read

आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।

आसमां से गिरते सितारे का, एक लम्हा मैंने भी चुराया है,
एक दुआ की ख्वाहिश कर, बोझ को उसके बढ़ाया है।
बादलों में बसे उस शहर में, एक दिन मैंने भी बिताया है,
दरख़्तों की मुलायम छाँव का, एक हिस्सा मेरे हक़ में भी आया है।
खामोशी की स्याही से लिखा, एक ख़त मैंने भी पाया है,
यूँ जज़्बातों की गूंज में सिमटे, अल्फ़ाजों ने मुझे बुलाया है।
कोरे रंग के आँचल पर, एक रंगरेज का साया है,
अब रंगों का कारोबारी हीं जाने, किस रंग में लिपटी काया है।
हौंसले की तीखी धार ने, एक पंछी को यूँ उसकाया है,
कि बंदिशों को तोड़कर उसने, उड़ानों से वफ़ा निभाया है।
किस्मत ने साजिशें कर, सफर को हाथों में बसाया है,
और कहते हैं लोग यहां कि, कहीं रुकना मुझे नहीं आया है।
साहिलों ने मुँह मोड़कर, कश्ती को मेरे ठुकराया है,
दरिया ने मुझे अपना बनाकर, संग लहरों के बहना सिखाया है।

2 Likes · 43 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
आज यादों की अलमारी खोली
आज यादों की अलमारी खोली
Rituraj shivem verma
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
शिव सुंदर तुं सबसे है 🌧
शिव सुंदर तुं सबसे है 🌧
©️ दामिनी नारायण सिंह
यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
Rj Anand Prajapati
*मजदूर*
*मजदूर*
Dushyant Kumar
😊😊फुल-फॉर्म😊
😊😊फुल-फॉर्म😊
*प्रणय*
कभी-कभी आते जीवन में...
कभी-कभी आते जीवन में...
डॉ.सीमा अग्रवाल
2805. *पूर्णिका*
2805. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जग में उदाहरण
जग में उदाहरण
Dr fauzia Naseem shad
पते की बात - दीपक नीलपदम्
पते की बात - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
किसान
किसान
Dinesh Kumar Gangwar
" गुजारिश "
Dr. Kishan tandon kranti
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
*घड़ी दिखाई (बाल कविता)*
*घड़ी दिखाई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
मज़लूम ज़िंदगानी
मज़लूम ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
"वक़्त की मार"
पंकज परिंदा
जीवन
जीवन
Mangilal 713
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
Phool gufran
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
Taj Mohammad
पावन मन्दिर देश का,
पावन मन्दिर देश का,
sushil sarna
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
gurudeenverma198
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
“गर्व करू, घमंड नहि”
“गर्व करू, घमंड नहि”
DrLakshman Jha Parimal
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
एक ज़माना था .....
एक ज़माना था .....
Nitesh Shah
मेरी कलम
मेरी कलम
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...