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13 May 2024 · 1 min read

आश्रित…….

……….. आश्रित…….

कुछ चीजों पर अपना वश नही होता
दिल पर हर बार काबू नही होता

मुखवटे हर बार चढाये नही जाते
आंसू हर बार छिपाए नही जाते

गम का चश्मा चढ़ाया नही जाता
हर बार दूरियां निभाई नही जाती

लफ्जों को वापस पाया नही जाता
टूटा हुआ रिश्ता निभाया नही जाता

लफ्जों का जख्म गहरा होता है
यू शब्दों को भूलना आसान नहीं होता

बचपन के साथी भुलाये नहीं जाते
उनसे किये वादे अब निभाए नहीं जाते

अब मांगनी होती है इजाजत हमे
हरदम हर बात अपने वश में नहीं होती
……………………….
नौशाबा जिलानी सुरिया

Language: Hindi
Tag: Poem
4 Likes · 1 Comment · 92 Views
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