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30 Jul 2024 · 1 min read

आशीष के दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ।

आशीष के दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ।
नज़र का टीका लगा लगा कर, बुरी बलायें भगाती है माँ।
सृजन करे सृष्टि का जगत में नहीं कोई भी है माँ के जैसा,
बिना बताये ही बात दिल की हमारी सब जान जाती है माँ।।

डॉ अर्चना गुप्ता

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