आशिकी
तेरा आशिक ज़माना है ।
ये किस्सा भी पुराना है ।
तू मेरे इश्क़ में पागल ।
ये मैंने आज जाना है ।
कभी पूरब कभी पश्चिम।
ये पंक्षी ठिकाना है ।
तेरी आंखों को देखने के लिए।
सारा शहर दिवाना है ।
तुझे देखे अगर कोई।
तो जलता ये परवाना है।
मेरी तो जान है तुझमें ।
मुझे तुझको ही पाना है । ।
Phool gufran