आशा
कुछ स्थितियाँ, कुछ स्मृतियाँ,
बेसुध सा भावुक रखती हैं।
ये दिव्य, मनोरम , अनुपम सी,
कुछ विरली दुर्लभ दिखती हैं।
कुछ स्थितियाँ ऐसी भी हैं,
जो राग विरह के गाती हैं।
पर स्मृतियों की स्थितियाँ,
तन मन हिय जिय पुलकाती हैं।
आशा की ऐसी ही स्थिति,
मन में गंगा सी बहती है।
“होगा मिलना, धीरज रख ले” ,
हर पल कलकल कर कहती है।
संजय नारायण