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31 May 2024 · 1 min read

आशा

दुख सुख आते जाते रहते,
किंतु निराशा ठीक नहीं है।
कर्म पंथ पर अडिग चले जो,
जीवन जीता सुखद वही है।।

देखो तरुवर के जीवन में,
एक समय पतझड़ छाता है।
पुनः पल्लवित, पुष्पित होते,
फिर से नव बसंत आता है।।

पतझड़ की सूखी डाली पर,
फिर से नव कोंपल आयेगी ।
रात घनी कितनी हो जाये,
सुखद सुबह फिर कल आयेगी।।

अंधकार का पीछा करते,
दीप्ति भानु की फिर पहुँचेगी।
सूरज को उगना ही होगा,
श्याम निशा कब तक ठहरेगी!!

– नवीन जोशी ‘नवल’

Language: Hindi
1 Like · 68 Views
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