आशा
कुछ तो है जो सूरज से ज्यादा चमकता है,
कुछ तो है जो चांद से ज्यादा दमकता है।
कोई तो है जो तूफान में भी किनारा दिखाता है,
कोई तो है जो रेगिस्तान में भी रास्ता दिखाता है।
कुछ तो है जो नन्हें घोंसलों का सहारा है,
कुछ तो है जो छलकती आँखों का तारा है।
कोई तो है जो मंजिलों से आवाज देता है,
कोई तो है जो थक कर गिरते हुए को थाम लेता है।
कुछ तो है जिसने हर दर्द को भुला रखा है,
कुछ तो है जिसके पास हर दर्द का दवा रखा है।
कोई तो है जो कभी अकेला होने नहीं देता,
कोई तो है जो दुख में भी रोने नहीं देता।
कुछ तो बात है जो बहते आंसू थम से जाते है,
कुछ तो बात है जो प्यासी आंखो में भी सपने भर जाते हैं।
कोई तो है जो आंधियों में भी दीपक जला लेता है,
कोई तो है जो जीवन – ज्योति को सजा लेता है।
जब हर तरफ़ हमें दिखे निराशा ही निराशा,
तब आगे बढ़ने की शक्ति देती है हमें हमारे मन की -आशा।
लक्ष्मी वर्मा “प्रतीक्षा”
खरियार रोड़ ओडिशा।