आशाओं के दीप…..
आशाओं के दीप जलाकर,
सुंदर सा आशियाना बनाएं।
सुरभित हो जीवन की बगिया,
ऐसा सुन्दर राग सुनाएं।।
स्नेह नीर प्रवाह कर,
हृदय पतित पावन करें।
कुंठित मन का त्याग कर,
कर्म योग का ध्यान करें।।
प्रित की रीत यही जीवन में,
निश्छल मन स्वीकार करें।
कभी शबरी या मीरा बन,
भक्त प्रेम का रसपान करें।।
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
Chandra Prakash Patel
Okhar (Masturi)
Distt.- BILASPUR (C.G.)