आवेदन पत्र
सेवा में,
श्रीमन्त: महोदया:
समस्त साहित्य ज्ञानोदया:
विषय- प्रतिक्रिया कर पाने की है गुहार,
विनय है हे साहित्य पीडिया परिवार,
मान्यवरा:,
सविनय निवेदन है हमारी,
दूर करें विघ्न बाधा सारी।
मैं जिनकी पाठक जो हैं हमारे,
उनके प्रति उठते मन में विचार सारे।
प्रतिक्रिया तनिक कर न पाऊँ,
धन्यवाद बिन बस कृतघ्न ही कहलाऊॅं।
गुगल से पुछ पुछ गयी मैं हार,
अबोध सम् संसार से गयी मैं मार।
प्रबुद्ध जनों से भी विनय की अथाह,
हाथ झार गए सरस के वह भी मल्लाह।
थाक गयी हर दिशा से पुछ,
मिला नहीं संधान कहीं से कुछ।
है विनम्र निवेदन हीं हमारी,
प्रार्थना स्वीकार करें समझ अनारी ।
हूँ आपकी विश्वासिनी,
जीर्णशीर्ण भाव प्रकासिनी ।
उमा झा