Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2021 · 1 min read

आवारगी

सृजन कर्ता -डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
दिनांक १० जुलाई २०२१ सुबह १२. ४० बजे

आवारगी
महकती फ़िज़ां में महक जाना कोई अज़ब अज़ाब तो नहीं
बहकती ख़िज़ाँ में बहक जाना बानगी के ख़िलाफ़ तो नहीं।।

तुमसे छुपा ही क्या है ये नशा जिसमें डूब कर मैं इतराता हूँ
उसी नशे का स्वाद तुमको भी लगाना सखी कोई बुरा तो नहीं।।

याद आओगी जो यूँ रूठ जाओगी देखो भटक तो न जाओगी
आवाज़ देकर जो तुमको बुलाऊँ तो इसमें कुछ बुरा तो नहीं।।

हदें बना लो, जाओ जा के देखो, ये आसान बेहद सी बात है
सीधे सपाट रिश्तों में गांठें लगा लो, मैं कोई सरफिरा तो नहीं।।

महकती फ़िज़ां में महक जाना कोई अज़ब अज़ाब तो नहीं
बहकती ख़िज़ाँ में बहक जाना बानगी के ख़िलाफ़ तो नहीं।।
नसीब अच्छा हो तो दोस्त भी मिल जाते हैं खुशनसीबी से
यूँ तो गमख्वारियत का सिलसिला तो आजतक थमा नहीं।।

मैं नहीं कहता कि मैं ही इक नुमाइंदा हूँ अब्रे शराफ़त का
खोज़ ने जाओगी तो देखोगी मुझसा कहीं मिला ही नहीं।।

आशिक़ी ने आशिक़ी को किया है बे- इज्जत बुरी तरहां
ये एक अबोध बालक है जिसका तो मुकाबला ही नहीं।।

महकती फ़िज़ां में महक जाना कोई अज़ब अज़ाब तो नहीं
बहकती ख़िज़ाँ में बहक जाना बानगी के ख़िलाफ़ तो नहीं।।

208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
Indu Singh
गरिमा
गरिमा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
चाहिए
चाहिए
Punam Pande
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
कारक पहेलियां
कारक पहेलियां
Neelam Sharma
मीनाबाजार
मीनाबाजार
Suraj Mehra
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
ना जाने यूं इश्क़ में एक ही शौक़ पलता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वक्त जब उचित न हो तो , वक्त के अनुरूप चलना ही उचित होता है,
वक्त जब उचित न हो तो , वक्त के अनुरूप चलना ही उचित होता है,
Sakshi Singh
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
Neelofar Khan
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
Shweta Soni
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
गीत- हृदय को चैन आता है...
गीत- हृदय को चैन आता है...
आर.एस. 'प्रीतम'
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
Nitesh Shah
..
..
*प्रणय*
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
कलम और कविता
कलम और कविता
Surinder blackpen
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
Ravikesh Jha
तकते थे हम चांद सितारे
तकते थे हम चांद सितारे
Suryakant Dwivedi
विषय : बाढ़
विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
Ragini Kumari
क्यों
क्यों
Neeraj Agarwal
"दरवाजा"
Dr. Kishan tandon kranti
2865.*पूर्णिका*
2865.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...