आवाज़ ना हो जिस घर में
आवाज़ ना हो जिस घर में कोई
जरूर वहां गम का मातम होगा
चौखट पर दिए के रखने से कभी
पूरा घर रौशन हो नहीं सकता।
कुछ दिल अंदर से इतने टूटे हैं
की पूरी दुनिया से ही वो रूठे हैं
वो हो गए बेपरवाह इसलिए कि
उन्हें और लुटा जा नहीं सकता।
वो जानते हैं तन्हाई की कीमत
जो हर पल महफ़िल के होते थे
मन में किसके कौन है कितना
सागर को नापा जा नहीं सकता।
सुबह जो इंसानों से मिलता है
सांझ होने के बाद कतराता है
रात में भूले चांद अगर देख ले
उससे फिर सोया जा नहीं सकता।