*आवागमन से मुक्त प्रभु करना (भक्ति गीत)*
आवागमन से मुक्त प्रभु करना (भक्ति गीत)
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बहुत भटका है मन ,आवागमन से मुक्त प्रभु करना
(1)
न जाने जन्म कितने ही मिले संबंध अपनाए
हजारों पाश माया-मोह-ममता के घिरे पाए
हमारी चेतना सर्वस्व ,चरणों में सदा धरना
(2)
जो अंतिम सॉंस आए तो ,तुम्हारी छवि निहारें हम
न कोई प्यास रह जाए ,नहीं बाजी को हारें हम
मिटाना देह के सब चक्र ,फिर जीना न हो मरना
(3)
मिले वह शांति मृदु हमको ,जो जग के कब निवासों में
हमें अमरत्व वह देना ,नहीं जो मर्त्य सॉंसों में
अभी हम बूॅंद हैं सागर असीमित हे प्रभो भरना
बहुत भटका है मन ,आवागमन से मुक्त प्रभु करना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451