आलम ए हिंद (व्यंग)
सोच कर ये दिल बैठा जाता हैं
आलम ए हिंद आज़ादी के पहले
आलम ए हिंद आज़ादी के बाद
लोकतंत्र की बदली तस्वीर पर तक़रीर
बदली बापू और सुभाषचन्द्र तस्वीर या
हिंसक और अहिंसक की तस्वीर।
महंगाई की बात ना करूंगा
महामारी की भी बात ना करूंगा
देश प्रेम का तो बात करूंगा ही
गगनचुंबी राफेल तो उड़ता है आसमान में
हॉस्पिटल का किल्लत होता है धरा में।
राम मंदिर की बात, मैं ना करूं
इतनी सस्ती सोच मैं ना रखूंगा
आखिरकार ,मैं भी एक देश भक्त हूं ,
दर्पण ‘ मैं ‘भी लेकर चलता हूं
अपने ही सूरत पहचानने से डरता हूं।
स्कूटर में मेरी भी रफ्तार है
पेट्रोल पंप का इंतजार है
तीन अंको की कहानी है
पेट्रोल दहाई के पार है
स्कूटर और पेट्रोल की दम
पर लगी रफ्तार है
मैं भी एक देशभक्त हूं
मेरी भी एक पहचान है
मुझे भी ज्ञान है
भारत माता का जय बोलना
मेरा भी अधिकार है
चारों स्तंभों का पहचान है
वाणी पर संयम का अधिकार है
चुप कर गौतम तू भी एक देशभक्त है
आभार प्रकट कर ,भारत की धरा तेरा भी है
गौतम साव