आरजू
आरजू
———–
फ़ाकाकशी थम जायेगी, गुर्बतें थम जायेंगी।
आरजू मेरी है कि हर, जुल्मतें थम जायेंगी।
.
एक पल का गुजरना, सदियों के मानिंद हो
जिंदगी के सफर में, गर हसरतें थम जायेंगी
.
शाख पर बैठा है पंछी, उड़ने की फिराक में
चंद लम्हों में अगर ये, दहशतें थम जायेंगी।
.
भीड़ में भी तरसती, जिंदगियाँ इमदाद को
भाईचारे के दम से, हर खलबतें थम जायेंगी।
.
रोज करता है दुआऐं, सूरते हर हाल में
इस जमीं पर ‘सुरेश’, नफरतें थम जायेंगी।
.
(सुरेश जादव,
डिप्टी कलेक्टर मुरैना)