Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Sep 2024 · 1 min read

“आरजू”

“आरजू”
ख्वाब उनके बेकरार रहे,
आरजू मेरी बरकरार रहे।

उनकी चाहत का क्या कहना,
हम तो सदा तलबगार रहे।

2 Likes · 2 Comments · 17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
दिल की बात बताऊँ कैसे
दिल की बात बताऊँ कैसे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चाय और राय,
चाय और राय,
शेखर सिंह
कोरोना काल में काल से बचने के लिए
कोरोना काल में काल से बचने के लिए "कोवी-शील्ड" का डोज़ लेने व
*प्रणय प्रभात*
कथा कहानी
कथा कहानी
surenderpal vaidya
श्राद्ध पक्ष के दोहे
श्राद्ध पक्ष के दोहे
sushil sarna
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
सच का सौदा
सच का सौदा
अरशद रसूल बदायूंनी
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
पढ़ने को आतुर है,
पढ़ने को आतुर है,
Mahender Singh
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
Dr.Archannaa Mishraa
पैगाम डॉ अंबेडकर का
पैगाम डॉ अंबेडकर का
Buddha Prakash
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
Shweta Soni
इश्क दर्द से हो गई है, वफ़ा की कोशिश जारी है,
इश्क दर्द से हो गई है, वफ़ा की कोशिश जारी है,
Pramila sultan
ज़िंदगी दफ़न कर दी हमने गम भुलाने में,
ज़िंदगी दफ़न कर दी हमने गम भुलाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इंसान
इंसान
विजय कुमार अग्रवाल
चरित्र राम है
चरित्र राम है
Sanjay ' शून्य'
3263.*पूर्णिका*
3263.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तक़दीर साथ दे देती मगर, तदबीर ज़्यादा हो गया,
तक़दीर साथ दे देती मगर, तदबीर ज़्यादा हो गया,
Shreedhar
सोचा ना था
सोचा ना था
Swami Ganganiya
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
कर दिया
कर दिया
Dr fauzia Naseem shad
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
यादों से निकला एक पल
यादों से निकला एक पल
Meera Thakur
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
Phool gufran
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""
सुनीलानंद महंत
कहने को तो बहुत लोग होते है
कहने को तो बहुत लोग होते है
रुचि शर्मा
Loading...