आरजू
सलाम करने की आरजू हैं क्यो न तुमको सलाम कर लूं।।
सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर लूं ,सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर लें।।
तेरी ही ख्वाहिशों कि हर सुबह तेरे ही ख्वाबों कि शाम कर लूं सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर लें।।
तपिश कि ठंढक, सर्द कि गर्मी मस्त वासंती तू बाला क्यों न तेरी हसरतो के लवो जाम अपने नाम कर ले ।!
सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर लूं!।।
उड़ती हवाओं में जुल्फै चाँद से चेहरे का हिजाब सावन के बहारों कि मल्लिका हिजाब क्यों ना आम कर दे !। सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर ले!।।
सोने जैसा रंग नहीं, ना चाँदी जैसे बाल, ना तूं ही एक धनवान ही हैं, तूं तो जिन्दगी जज्बात दिलों कि धड़कन सांसों कि जिंदगी का विश्वास क्यों सासों धड़कनाै को जिन्दगी के नाम कर लूँ।।
सलाम करने कि आरजू है, क्यो न तूझको सलाम कर ले!।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश