आरंभ
आरंभ
आरंभ यदि मन से करे तो ,
सभी कारज पूर्ण हो जाएंगे।
संकल्प यदि दृढ़ साथ लगा ले ,
असफलता कभी न आयेंगे।
विश्वास हो,मन में आस का सदिखन ,
समयबद्धता भी जरूरी है।
अहं को यदि हम दिल से निकालें ,
साधन खुद ही जुट जायेंगे।
लक्ष्य कोई हो ,कितना बड़ा भी ,
बाधाएं रह- रह कर उठे।
बुजुर्गों की दुआ,यदि मांग चले हम ,
मुश्किल फिर कभी न आयेंगे।
संघर्ष पथ रहे,अविचल हमेशा ,
परिश्रम से कभी घबरायें नहीं ।
अर्जुन सा यदि लक्ष्य टिका ले ,
दुर्योधन खुद ही मिट जायेंगे।
ईर्ष्या लालच विचलित करता ,
हालात प्रतिकूल कर देता ये।
आरम्भ सदा,शुभारंभ ही होगा ,
सत्कर्म का सीख यदि ले पायेंगे।
मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण