आयो, आयो, आयो रे वसंत
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आयो, आयो, आयो रे वसंत,
छाई है जग में शोभा अनन्त।
बहे मंद – मंद शीतल बयार,
छेड़ जाये मेरे मन के तार।
खिले हैं सुन्दर फूल पलाश,
पीया से मिलन की है आस।
टेंसू के फूल लाल – लाल,
महके बहके हैं मेरी चाल।
लग गए हैं आमों में बौर,
दिल ना पाये कही भी ठौर।
ये मौसम जाने जादू-टोना,
बहके मन का कोना-कोना।
भवरों की मधुर-मधुर गीत,
दिल में रस घोले मन प्रीत।
सुनकर कोयल की कूक,
उठे मन में मीठी-सी हूक।
हवा में फूलों की सुगंध,
घुलते मादकता का गंध।
फूल-फूल पराग महके,
धानि चुनरिया मेरा लहके।
प्रकृति सौन्दर्य में निखार,
दहक उठे दिल में अंगार।
यह ऋतु अति सुहावनी,
सुखद बदलाव मनभावनी।
—लक्ष्मी सिंह ?☺