Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2019 · 1 min read

” आये फिर मनुहार के दिन हैं ” !!

आये फिर मनुहार के दिन हैं !!

बरसों बीते महक वही है !
बातों में भी चहक वही है !
हँसी लगे है आज खनकती ,
पाये वह झनकार के दिन है !!

श्वासों में तुम रची बसी हो !
लोग कहे तुम पलक चढ़ी हो !
अनजाने से पहचाने तक ,
मुझ पर सब उपकार के दिन हैं !!

आँखों की वह ललक न टूटे !
ह्रदय बसी वह झलक न छूटे !
हम दोनों भी चढ़े कसौटी ,
अब मीठे व्यवहार के दिन हैं !!

जाल बुने हैं रिश्ते नाते !
टूट गये तो हम अकुलाते !
नेह वार कर खुशियाँ पाई ,
बढ़े चलो उस पार के दिन हैं !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उम्र के इस पडाव
उम्र के इस पडाव
Bodhisatva kastooriya
पीताम्बरी आभा
पीताम्बरी आभा
manisha
नन्ही परी चिया
नन्ही परी चिया
Dr Archana Gupta
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
Keshav kishor Kumar
News
News
बुलंद न्यूज़ news
ममतामयी मां
ममतामयी मां
SATPAL CHAUHAN
जग-मग करते चाँद सितारे ।
जग-मग करते चाँद सितारे ।
Vedha Singh
इश्क अमीरों का!
इश्क अमीरों का!
Sanjay ' शून्य'
💐प्रेम कौतुक-322💐
💐प्रेम कौतुक-322💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं असफल और नाकाम रहा!
मैं असफल और नाकाम रहा!
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
फ़र्ज़ ...
फ़र्ज़ ...
Shaily
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
सर्वंश दानी
सर्वंश दानी
Satish Srijan
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आखिर वो माँ थी
आखिर वो माँ थी
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन दिव्य बन जाता
जीवन दिव्य बन जाता
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
तस्वीर देख कर सिहर उठा था मन, सत्य मरता रहा और झूठ मारता रहा…
तस्वीर देख कर सिहर उठा था मन, सत्य मरता रहा और झूठ मारता रहा…
Anand Kumar
*
*"प्रकृति की व्यथा"*
Shashi kala vyas
*अच्छी आदत रोज की*
*अच्छी आदत रोज की*
Dushyant Kumar
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
पूर्वार्थ
*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
■ आज का शेर...
■ आज का शेर...
*Author प्रणय प्रभात*
वस हम पर
वस हम पर
Dr fauzia Naseem shad
2561.पूर्णिका
2561.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
प्रथम गणेशोत्सव
प्रथम गणेशोत्सव
Raju Gajbhiye
Loading...