आयी बसंती सुबह सुहानी
आयी बसंती सुबह सुहानी
सजी धरा अब बन पटरानी
ओढ़ चुनरिया पीत वर्ण की
मनहु राज करे महारानी ।
आयी बसंती सुबह सुहानी ।।
उठो सुगंधी पवन चली है
कितनी सुखद बयार बही है
कलरव सुर में कहती जन से
ऋतुराज की बनकर वाणी ।
आयी बसंती सुबह सुहानी ।।
तन मन अपने भरो स्फूर्ति
करो रिक्तता की सब पूर्ति
समय सजीला है अब आया
राहें अपनी तुम्हें सजानी ।
आयी बसंती सुबह सुहानी ।।
डॉ रीता सिंह
चन्दौसी ( सम्भल