आया सावन सपने बुनकर !!
कल कल झरने झूमे मधुवन ,
आया सावन सपने बुनकर !!
मोर, पपीहा, कोयल गाती ,
मीठी मीठी तान सुनाती !
सुनो सखी तुझसे कहती हूँ ,
पिया मिलन की याद सताती !!
हरा भरा उपवन में जाऊँ ,
बार बार देखूँ सहलाऊँ !
फूल बिखर जाते है खिलकर ,
कैसे मै उनको समझाऊँ !!
कास चले आते वो दौड़े ,
मेरे अंतरमन पढ़कर !
सीने से उनके लग जाती ,
राजा कहकर उन्हें बुलाती !
तरह तरह पकवान बनाकर ,
हाथों से मै उन्हें खिलाती !!
सारा जहां तुम्ही हो मेरे ,
कह देती उनसे मिलकर !
भाव विभोर हुआ हर्षित मन ,
गीत ग़ज़ल कविता लिखकर !!